Category: Poetry

पवन, एक शीतल हवा के झोंके जैसा ।

पवन, एक शीतल हवा के झोंके जैसा ।
ना पूछो मेरा ठिकाना है ऐसा ।।

मैं अभी यहाँ हूँ, तो कल हूँ वहाँ ।
किसको पता मुझे जाना है कहाँ ।।

अपनी मंजिलो की तलाश में, बस मैं चला जा रहा हूँ ।
कुछ कर दिखाने की आस में, आगे कदम बढ़ा रहा हूँ ।।

और कुछ नहीं, मिट्टी का एक शरीर हूँ मैं ।
हाथों की लकीरें नहीं, खुद अपनी तकदीर हूँ मैं ।।

मेरे कुछ अलग तराने है, मुझे नये मुकाम बनाने है ।
एक दुनिया है मेरे सपनों की, परवाह है मुझे मेरे अपनों की ।।

अभी वीरान सी राते है, पत्थरों से भरे रास्ते है ।
हर हाल में उनको पाना है, जो अरमान इस दिल में बसते है ।।

कुछ लोग तो मुझपे हँसते है, कि क्या तेरे ये रास्ते है ।
परवाह नहीं उन लोगों की, जो अपने है, वो दिल में बसते है ।।

जो तुम्हें अभी छु कर निकली, बस वहीं तो पवन हूँ मैं ।
अपनी मंजिल को पाने में, बस हर पल मगन हूँ मैं ।।

कितने भी कठिन रास्ते हो, फिर भी मंजिल को पाना है ।
जब तक दिल में अरमां है, मुझकों चलते जाना है ।।

क्या जमीं, क्या आसमां, हर ओर मेरा ठिकाना है ।
जब तक मुझमें जाँ है, मुझकों चलते जाना है ।।

यारों ये जग को क्या हुआ, ये किस दिशा में चल निकला ।

यारों ये जग को क्या हुआ, ये किस दिशा में चल निकला ।
चाहें कोई अपना जुदा हो गया, पर पैसा ही सब का खुदा हो गया ।।

सोने चांदी का महल बनाया, फूलों की खुशबू से सजाया ।
अपनों पर कभी ना प्यार आया, क्या कमाया और क्या गवाया ।।

सबकी अपनी सरगम है, सबके अपने गीत है ।
पैसे को सब कुछ समझना, यही तो दुनिया की रीत है ।।

हर कोई ये कहता है, पैसे से दुनिया चलती है ।
लेकिन मेरे सपनों की शामें, अलग ही तरह से ढलती है ।।

पैसा है पर अपने नहीं, शोहरत है पर सपनें नहीं ।
ये दुनिया की कहानी है, मुझे खुद अपनी कहानी बनानी है ।।

क्यों जिउं मैं सिर्फ दिखाने के लिए, बिन सपनों के जिंदगी अधूरी है ।
सिर्फ नाम और शोहरत से क्या होगा, दिल का सुनना भी तो जरूरी है ।।

जिन्दगी के आखरी पल में, ये सोच कर हर कोई रो दिया ।
दुनिया के पीछे भागते – भागते, खुद के सपनों को खो दिया ।।

पर मैं एक बहता दरिया हूँ, मुझे रोकने की कोशिश न कर ।
गिर के उठना सिखा है मैंने, ना मुझे किसी भी हार का है डर ।

अब तो हर पल, सपनों से मेरी बात होती है ।
जाऊ मैं चाहें कहीं, जिन्दगी भी मेरे साथ होती है ।।

हैरान है मेरा दिल, कि जाना कहाँ है ।

हैरान है मेरा दिल, कि जाना कहाँ है ।
परेशान है मेरा दिल, कि ठिकाना कहाँ है ।।

रास्तें मंज़िलों के बड़ी दूर नजर आते है ।
माँगु जरा सी रोशनी, तो सितारें भी शरमाते है ।।

जल रहा है बदन मेरा, फिर भी अंधेरा है ।
दिल को जाने किस कशमकश ने घेरा है ।।

कहाँ रह गया मैं, और ये जमाना कहाँ है ।
हैरान है मेरा दिल, कि जाना कहाँ है ।।

इस पल को जीना है, तो आसमान का रगं देख ।
क़दमों को रख पानी में, तितलियों का सगं देख ।।

खुबसुरत ये जहाँ है, तेरी नजर कहाँ है ।
छूकर देख उन फूलों को, जो तेरी नज़रों से परे वहां है ।।

दिल से कोई गीत गा, नन्हें बच्चों की उमगं देख ।
क़दमों को रख पानी में, तितलियों का सगं देख ।।

यूँ खुद को तो नहीं खोना था, तुझे ये तो नहीं होना था ।
अपना मुकाम बनाना था, तुझे भीड़ में नहीं खोना था ।।

लब्ज न ढूंड पाएगा, जब खुद से तेरी बात होगी ।
बिखर जायेगा तिनकों की तरह, जब खुद से तेरी मुलाकात होगी ।।

नजर न मिल पायेगी, आखों से बरसात होगी ।
बिखर जायेगा तिनकों की तरह, जब खुद से तेरी मुलाकात होगी ।।