पवन, एक शीतल हवा के झोंके जैसा ।
ना पूछो मेरा ठिकाना है ऐसा ।।
मैं अभी यहाँ हूँ, तो कल हूँ वहाँ ।
किसको पता मुझे जाना है कहाँ ।।
अपनी मंजिलो की तलाश में, बस मैं चला जा रहा हूँ ।
कुछ कर दिखाने की आस में, आगे कदम बढ़ा रहा हूँ ।।
और कुछ नहीं, मिट्टी का एक शरीर हूँ मैं ।
हाथों की लकीरें नहीं, खुद अपनी तकदीर हूँ मैं ।।
मेरे कुछ अलग तराने है, मुझे नये मुकाम बनाने है ।
एक दुनिया है मेरे सपनों की, परवाह है मुझे मेरे अपनों की ।।
अभी वीरान सी राते है, पत्थरों से भरे रास्ते है ।
हर हाल में उनको पाना है, जो अरमान इस दिल में बसते है ।।
कुछ लोग तो मुझपे हँसते है, कि क्या तेरे ये रास्ते है ।
परवाह नहीं उन लोगों की, जो अपने है, वो दिल में बसते है ।।
जो तुम्हें अभी छु कर निकली, बस वहीं तो पवन हूँ मैं ।
अपनी मंजिल को पाने में, बस हर पल मगन हूँ मैं ।।
कितने भी कठिन रास्ते हो, फिर भी मंजिल को पाना है ।
जब तक दिल में अरमां है, मुझकों चलते जाना है ।।
क्या जमीं, क्या आसमां, हर ओर मेरा ठिकाना है ।
जब तक मुझमें जाँ है, मुझकों चलते जाना है ।।