हैरान है मेरा दिल, कि जाना कहाँ है ।
परेशान है मेरा दिल, कि ठिकाना कहाँ है ।।
रास्तें मंज़िलों के बड़ी दूर नजर आते है ।
माँगु जरा सी रोशनी, तो सितारें भी शरमाते है ।।
जल रहा है बदन मेरा, फिर भी अंधेरा है ।
दिल को जाने किस कशमकश ने घेरा है ।।
कहाँ रह गया मैं, और ये जमाना कहाँ है ।
हैरान है मेरा दिल, कि जाना कहाँ है ।।
इस पल को जीना है, तो आसमान का रगं देख ।
क़दमों को रख पानी में, तितलियों का सगं देख ।।
खुबसुरत ये जहाँ है, तेरी नजर कहाँ है ।
छूकर देख उन फूलों को, जो तेरी नज़रों से परे वहां है ।।
दिल से कोई गीत गा, नन्हें बच्चों की उमगं देख ।
क़दमों को रख पानी में, तितलियों का सगं देख ।।
यूँ खुद को तो नहीं खोना था, तुझे ये तो नहीं होना था ।
अपना मुकाम बनाना था, तुझे भीड़ में नहीं खोना था ।।
लब्ज न ढूंड पाएगा, जब खुद से तेरी बात होगी ।
बिखर जायेगा तिनकों की तरह, जब खुद से तेरी मुलाकात होगी ।।
नजर न मिल पायेगी, आखों से बरसात होगी ।
बिखर जायेगा तिनकों की तरह, जब खुद से तेरी मुलाकात होगी ।।